International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

Impact Factor* - 6.893


*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अल्पसंख्य, बहुसंख्य धर्मो का सांप्रदायिक सद्भाव एवं स्वरूप

    1 Author(s):  DR. JAIBHAGWAN

Vol -  8, Issue- 12 ,         Page(s) : 329 - 332  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Get Index Page

Abstract

वर्तमान विश्व के अनेक देशों मे बढ़ती हुई सांप्रदायिकता को देखते हुए तथा उनके परिणामों को ध्यान में रखते पर ‘सांप्रदायिक सद्भाव’ की और सहज रूप से सभी का ध्यान जाता है, क्योकि प्रत्येक राष्ट्र राज्य तथा समाज मंे आपसी सहयोग, सहिष्णुता तथा एकता बनाऐ रखने में सांप्रदायिक सद्भाव का विशेष महत्व होता है। यह एक अनेकार्थक अवधारणा है। यह मूलतः विभिन्न धर्मांे, जातियों तथा क्षेत्रो के आधार पर लोगो का जो अपने अलग-अलग समुदायों में रहते है उनको निकटता, तथा परस्पर बोध सूत्र में बाँधने का सामूहिक प्रयास है। भारत जैसे राष्ट्र के लिए सांप्रदायिक सद्भाव का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। क्योकि भारत विभिन्न धर्मांे, भाषाओं तथा संस्कृतियों वाला एक देश है। जिसमें हिदू, मुस्लिम , सिक्ख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी आदि धर्मों के अनुयायी निवास करते है। इनमें सबसे अधिक संख्या हिन्दुओं की है जो कुल जनसंख्या का लगभग 83 प्रतिशत है।


   No of Download : 156    Submit Your Rating     Cite This   Download         Certificate







Bank Details