कबीर का रहस्यवादः- एक विवेचन
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Author(s):
KANTA RANIA
Vol - 9, Issue- 8 ,
Page(s) : 11 - 16
(2018 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
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Abstract
रहस्यवाद का विवेचन अत्यन्त मनोरंजन होने के साथ साथ दुःसाहय प्रतीत होता है। आत्मा और परमात्मा के अध्यात्मिक प्रेम में जीव की सारी इन्द्रियों का एकीकार रहस्यवाद की और इंगित करता है। अद्वैतवाद को रहस्यवाद का प्राण माना है। सूफीमत में शरियत, तरीकत, हकीकत और मारिफत आदि चार दशाएँ रहस्यवाद को अन्जाम तक ले जाती है। सूफीमत के अनुसार मारीफत में जाकर आत्मा-परमात्मा का मिलन होता है।
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