भारतीय महिला सशक्तिकरण
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Author(s):
MEENAKSHI TYAGI
Vol - 9, Issue- 6 ,
Page(s) : 29 - 35
(2018 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
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Abstract
मानव सभ्यता के उषा काल से ही समाज के निर्माण एवं विकास में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है अथवा यों कहें कि समाज के निर्माण एवं विकास को सजाने एवं संवारने में पुरुषों के अपेक्षा महिलाओं की भूमिका अधिक रही है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
वास्तविकता यह है कि कोई समाज महिला वर्ग की भूमिका एवं महत्ता को नजर अंदाज कर विकास की दौड़ में आगे नहीं आ सकता। विश्व में विकसित एवं विकासशील राष्ट्रों के मध्य पाया जाने वाला भेद महिला वर्ग के द्वारा अदा की जाने वाली भूमिकाओं का स्पष्ट चित्रण प्रस्तुत करता है। वर्तमान काल में दुनिया में वे राष्ट्र आज विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में आगे खड़े हैं जो उनकी महिलाओं के साथ समानता का वर्ताव कर विकास की भागीदारी में उनकी भूमिका को रेखांकित कर रहे हैं। उन्हें समाज का दोयम दर्जे का नागरिक न समझकर समान नागरिक समझते रहे हैं। इनके विपरीत जो समाज अभी भी महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक मानकर अपनी आबादी के लगभग 50ः को समाज निर्माण एवं विकास में उनकी भूमिका को नजर अंदाज किये हुए हैंए वे अभी विकास प्रक्रिया में है। अतः वे अभी तक विकासशील राष्ट्रों की श्रेणी में अटकें पड़े हैं। कमोवेश भारतीय समाज इसी दौर में ही है।
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