International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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दलितों के मसीहा एक सुदृढ़ व्यक्तित्व के स्वामी डाॅ भीम राव अम्बेड़कर
1 Author(s): ANITA DEVI
Vol - 5, Issue- 7 , Page(s) : 33 - 37 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
जब कभी मानववाद के दर्षन की लहर उमड़ती है, साथ ही अभी तक उपेक्षित वर्ग के लोगों के वास्तविक कलयान की बात होती है, तब डाॅ0 अम्बेडकर का नाम स्वतः ही स्मरण हो जाता है, क्योंकि उन्होंने आधुनिक -पूर्ण समाज के स्तरीय ढांचागत रूप का डटकर विरोध किया, विषेशकर हिन्दु समाज का जो वर्ण, जाति और छुआछुत पर आधारित है। 14 अप्रैल 1891 एक ऐसी तिथि है जिस दिन एक महान दार्षनिक का जन्म हुआ। इस दिन महाराश्ट्र के कोन्कान क्षेत्र में रत्नगिरी जिले में स्थित अम्बावडे नाम के छोटे से कस्बे ‘‘खेड़ा तालुका’’ के रहने वाले एक दलित परिवार में डाॅ0 अम्बेड़कर ने जन्म लिया। अम्बेड़कर जी दादा जी मालेजी सकपाल महार समाज के एक अच्छे परिवार से थे। रामजी सकपाल (अम्बेड़कर के पिता) मिलिट्री सेवा में थे और सुबेदार मेजर के पद से सेवानिवृत हुए। अम्बेड़कर सबसे छोटे हाने के कारण सबके प्यारे थे। उनकी प्रारम्भिक षिक्षा प्राप्त सतारा में ही षुरू हुई।