International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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तत्वार्थसूत्र में भूगोल एवं खगोल
2 Author(s): DR SANGITA MEHTA , ARUN KUMAR YADAV
Vol - 5, Issue- 8 , Page(s) : 17 - 27 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
मैं, अपने शोध-पत्र तत्वार्थसूत्र में भूगोल एवं खगोल के माध्यम से जैनधर्म में जो भूगोल की मान्यताएँ हैं, उसको बताते हुए आधुनिक वैज्ञानिक मान्यताएँ को भी बताने का प्रयत्न करूँगा। जैनधर्म में विषेषकर तत्वार्थसूत्र में जो बताया गया है, उसे अष्टादषपुराण व जैनपुराण ने भी स्वीकार किया है। परन्तु आज इसकी मान्यता लोग स्वीकार नहीं करते। चूंकि प्राचीनकाल में जो विष्व की कल्पना की गई थी, उसमें काफी कुछ परिवर्तन दिखाई दे रहा है।