International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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भारतीय गांवों की समस्याएं - विघटन व कारण

    1 Author(s):  SUDHIR MALIK

Vol -  1, Issue- 1 ,         Page(s) : 288 - 295  (2010 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

भारतवर्ष में आधुनिक काल मंे दिखाई देने वाली समस्याएं पुरातन व मध्यकाल में नहीं थीं। उस समय गाँवों की दशा बड़ी अच्छी थी और वे समाज की एक सुसंगठित इकाई माने जाते थे। उस समय भी गांवों को जनतन्त्र के सभी सुख, अधिकार प्राप्त थे। वह एक अस्वतन्त्र समाज के रूप में खुशहाल जीवन के रूप में क्रियाशील थे। अंग्रेजों के आवागमन के पश्चात ग्रामीण भारतीय समुदायों का विवाद और विघटन प्रारम्भ हुए जिससे जो गांव एक आदर्श राज्य की मुख्य इकाई थे। वे धीरे-धीरे निर्धनता, अशिक्षा, रूढ़िवादी, झगड़ा के केन्द्र बन गये तथा उनमें आपसी सौहार्द समाप्त होने से उनकी सांस्कृतिक विरासत पर खतरा मंडराने लगा। उनका सादा जीवन उच्च विचार का आदर्श विवादों के कारण धूमिल होने लगा और जीवन में सत्य की जगह दिखावे और झूठ ने ले ली। पश्चिमी सभ्यता की जगह विदेशी या विदेशों से आयातित सामग्री का उपयोग बढ़ने लगा और पश्चिमी और परिवार में विघटनों के कारण जाति पंचायतों का आधिपत्य भी समाज से खत्म होने लगा और संयुक्त परिवार विघटन का केन्द्र बन गये।

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