International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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सामाजिक परिवर्तन और धर्म के पारस्परिक सम्बन्ध के विषय में स्वामी विवेकानन्द के विचार
2 Author(s): GITANSH YADAV ,DR. SANDYA MISHRA
Vol - 11, Issue- 8 , Page(s) : 145 - 150 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
स्वामी विवेकानन्द ने यह विचार व्यक्त किया है कि सामाजिक रूपरेखा और धर्म एक दूसरे से गुंथे हुए हैं। चूंकि धर्म का गलत अर्थ लगाया गया इसलिए जातिवाद, असमानता, छुआछूत और सामाजिक डर पनपने लगा। उन्होंने कहा, ”भारत के समान संसार के किसी कोने में हम नहीं पाते कि व्यक्तिगत जीवन को रूप देने में धर्म बना है। भारत में मनुष्य का आर्थिक कार्यक्रम, उसका सामाजिक जीवन, उसका विवाह, उसकी मृत्यु उसकी दैहिक गतिविधियां सबके सब धर्म के द्वारा बंधे रहते हैं।