International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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सांख्य-योग की नीतिशास्त्रीय दृष्टि
1 Author(s): ANSHU ANAND
Vol - 11, Issue- 2 , Page(s) : 53 - 59 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
भारतीय चिन्तन में ‘दर्शन’ शब्द श्च्ीपसवेवचीलश् से बड़ा सांख्य-योग के कारण ही है क्योंकि इससे यह कोरा ज्ञान न होकर यथार्थ प्रत्यक्ष दृश्य, व्यवहार में फलित होनेवाली उपलब्धि ;।चचसपमक ंबीपमअमउमदजद्ध है। सांख्य दर्शन में मुक्ति के लिए बहुत प्रयास की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आत्मा या पुरूष तो स्वतन्त्र और मुक्त है