International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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कौटिल्य का सप्तांग सिद्धान्त : एक अध्ययन
1 Author(s): DR. POONAM GAROLA
Vol - 12, Issue- 7 , Page(s) : 18 - 21 (2021 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
भारतीय चिन्तन व भारतीय संस्कृति और सभ्यता में अद्भुत समन्वय शक्ति सदा से विद्यमान रही है। अतः जहां एक ओर इसने अपनी मौलिक विशेषताओं को बनाये हुये रखा हे। वहीं दूसरी ओर अन्य सभ्यताओं और संस्कृतियों की अनेक बातों को आत्मसात किया है। भारतीय आध्यात्मिक एवं राजनीतिक दर्शन की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है, भारतीय दर्शन की यह गौरवशाली परम्परा वैदिक युग से लेकर आज तक बनी हुई है।1