International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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हिंदी पत्रकारिता के दर्पण में
1 Author(s): DR. GITA SINGH
Vol - 12, Issue- 8 , Page(s) : 11 - 12 (2021 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
राजा महाराजाओं ने जब अपने प्रजा हित को त्याग दिया और अपने अहं की पुष्टि करने में जुट गए तो समवेत स्वर में प्रजा हुंकार उठी और महलों की नींव तक उखड गई और प्रजातंत्र शासनतंत्र बन गया. जिसकी व्यवस्थापना में विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और पत्रकारिता नामक चार स्तंभों का निर्माण किया गया जिसपर लोकतंत्र का ढाँचा खड़ा किया गया और प्रजा द्वारा चुनी गई विधायिका को सशक्त बनाया गया. प्रजा द्वारा निर्मित शासन-व्यवस्था की प्रथम शर्त यह है कि वह स्वयं में समझ, सूझ-बूझ और सम्मोहन रहित बौद्धिक धरातल का निर्माण करे. ऐसा करने के लिए यह भी आवश्यक है कि समाज के सूत्रधार ऐसे हों (नेता मैंने जानबूझकर नहीं कहा) जिन्हें इस स्थिति को लाने के लिए नागरिक तैयार करें.