International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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अभिराजयशोभूषणम् में शब्दशक्ति विषयक अवधारणा
1 Author(s): AKHILESH KUMAR TRIPATHI
Vol - 5, Issue- 1 , Page(s) : 227 - 243 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
संस्कृत-साहित्य मंे शब्दार्थ का विवेचन विस्तार के साथ किया गया है। व्याकरण, न्याय और मीमांसा, शब्दार्थ विवेचन करने वाले प्रमुख शास्त्र हैं।व्याकरण-शास्त्र मंे पद-पदार्थों का विवेचन है, इसलिए इसे पदशास्त्र कहा गया है। न्याय शास्त्र मंे विशेष रूप से वाक्यार्थ शैली का विवेचन है, इसलिए मीमांसा को वाक्य शास्त्र कहा जाता है। शाब्दबोध प्रक्रिया मंे इन तीनों शास्त्रों के मर्मज्ञों को पद-वाक्य-प्रमाणज्ञ उपाधि से विभूषित किया गया है।