International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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सन्त साहित्य में कला और भाषा
1 Author(s): DR. KRISHNA LAL DHINGRA
Vol - 11, Issue- 1 , Page(s) : 165 - 174 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
शुक्ल जी अपने‘ हिन्दी साहित्य का इतिहास’मेंलिखतेहै“निर्गुणमार्गीसन्तकवियों की परम्परा में थोड़े ही ऐसेहुए हैंजिनकीरचनासाहित्य के अन्तर्गत आ सकतीहै। शिक्षितों का समावेश कम होने की वजह से इनकी वाणी अधिकतरसाम्प्रदायिकों के ही काम की है।उसमेंमानव जीवन की भावनाओं की वहविस्तृतव्यंजना नहीं है जो साधारण जन समाज को आकर्षित कर सके।