International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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भक्तिकाल : भक्ति, काव्य और समाज
1 Author(s): DR. PURAN CHAND
Vol - 12, Issue- 4 , Page(s) : 101 - 109 (2021 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
निर्गुण साहित्य की रचनात्मक परंपरा अत्यंत विस्तृत है। आलोचकों ने इसे हिंदी साहित्य के आदिकाल से लेकर आधुनिक काल के उदय तक फैला हुआ माना है। पीताम्बर दत्त बडथ्वाल ने इसका आरम्भ जयदेव से माना है तो परशुराम चतुर्वेदी भी पूर्व की कुछ सामान्य प्रवृत्तियों के साथ जयदेव से ही इसका आरम्भ मानते हैं।ैं