International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
कुड़मालि काव्य में बिम्ब एवं प्रतीक का व्यवहार
1 Author(s): DR. SHAILESH KUMAR MAHTO
Vol - 15, Issue- 6 , Page(s) : 100 - 105 (2024 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
सामान्यतः किसी पदार्थ की मानसिक प्रतिकृति ही उसका ’बिम्ब’ है। काव्य के अंतर्गत भाव, अनुभूति, राग और विचार जब सघन होकर इस प्रकार मूर्त हो जाते हैं कि मूर्ति-विधान से प्रस्तुत-अप्रस्तुत को अलग नहीं किया जा सकता तब एक वास्तविक ’बिम्ब’ की सृष्टि होती है।