International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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भारत में पूँजीवाद की समस्या

    1 Author(s):  GEETA SINGH

Vol -  5, Issue- 6 ,         Page(s) : 168 - 172  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

वैश्वीकरण एवं बाजारवाद के चलते पूॅंजीवाद से बचा नहीं जा सकता-यह कटु वाक्य है, फिरभी सच है। किसी भी देशवासी के लिएा यह असहय होगा कि उसका देश जो मूल्योंवाला था मात्र पूँजीवाद की सीमित दृष्टि में संकुचित होकर रह जाये। इसीलिए यह जरूरी लगा कि इसपर दृष्टिपात किया जाय और वास्तविक समस्या की जड़ तक पहुॅंचा जाय- यह एक कोशिश है- आम आदमी की दृष्टि से। प्रायः पूँजीवाद के विरोध को धन का विरोध समझ लिया जाता है इसीलिए निदान कम और विवाद अधिक खड़ा होता है यह बात कष्टदायक ही नहीं हमारी पूरी सोच को कुन्ठित कर देती है। इस देश से जो बुद्धिजीवी पलायन कर रहे हैं उसका भी मुख्य कारण यही है- सत्ता- समाज और बुद्धिजीवी के बीच सही संवाद नहीं हो पा रहा है उन्हें सही मार्गदर्शन की आवश्यकता है-

  1. मेरे साक्षात्कार: डाॅ. रामविलास शर्मा. प्र. किताबघर (पृ. 148)
  2. हिन्दी साहित्य के विविध विमर्श, सं. विनीत कुमार प्र. वांग्मय (पृ. 31)

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