International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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राजभाषा हिन्दी की दशा
1 Author(s): DR. MD MAZID MIA
Vol - 5, Issue- 7 , Page(s) : 57 - 62 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
आधुनिक समय मे भारत वर्ष की भाषायी समस्या विश्व के अन्य किसी भी देश की भाषा समस्या से भिन्न और विकट है। क्षेत्रफल व जनसंख्या की दृष्टि से ही नहीं वरन भावनाओं के धरातल पर भी भारत एक उपमहाद्वीप है। देश में कितनी ही समृद्ध भाषाएँ हो, जब तक इसकी एक राजभाषा न हो तो देश गूंगा है। राजभाषा का संबंध राज तथा शासन से है। राजभाषा शासक, शासन और शासित के बीच की भाषा होती है, जब तक इनमें आपसी तालमेल के लिए समान भाषाप्रयोग नहीं होगा तब तक शासन कभी भी शासित के समीप नहीं आ सकता। उनके बीच एक दूरी बनी रहती है, और तब तक इनके बीच में संप्रेषन की समस्याएँ बनी रहती हैं। इस खाई को मिटाने व संप्रेषन की समस्या को दूर करने के उद्देश्य से ही आजादी के साथ ही हिन्दी को संविधान में संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया तथा इसके प्रचार-प्रसार का दायित्व संघ सरकार को सौंपा गया। यह