International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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साहित्य में नारी
1 Author(s): DR. NUTAN RANI
Vol - 5, Issue- 8 , Page(s) : 89 - 91 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
कविता कामिनी का संयोग सरस भी है और हिज भी वर्ण विन्यास मनोहर ओर साथ में अर्थ-सौरस्य की छटा । कविता ही कामिनी और का मिनी ही कबिता है। एक ही तथ्य के दो रूप है सूक्ष्म रूप कविता और स्थूल रूप का मिनी। सरस्वती ही सरस्वती है, रमायीयता से समन्नित (रमणीयार्थ प्रतिपादक षब्द) ही रमणी है। कविता के साथ कामिनी और वनिता का प्रयोग आरम्भ से होता आ रहा है।