International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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अन्तराष्ट्रिय एवं राष्ट्रिय संदर्भ मे
1 Author(s): MD MAZID MIA
Vol - 6, Issue- 7 , Page(s) : 6 - 16 (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
किसी भाषा का विस्तार और विकास उस भाषा को बोलने वाले तथा व्यवहार में लाने वालों की संख्या पर निर्भर करता है। हिन्दी का इस दृष्टिकोण से विस्तार तो हुआ ही है, इसे और विस्तृत एवं विकसित किया है भारतीय संस्कृति ने, जो विदेशों में काफी लोकप्रिय है। भारत से बाहर जाने वाले चाहे वे किसी भी कारण से गए हों, वह अपनी संकृति तथा भाषा को भी साथ लेकर गए और उसे विदेशी संस्कृति व भाषा के मध्य जीवित बनाए रखा। वहाँ रहकर हिन्दी के प्रचार-प्रसार में महती भूमिका निभाई। आज विश्व के अनेक देशों में हिन्दी का स्तर काफी बढ़ा है। इसे बढ़ावा देने में निजी संस्थाएं, धार्मिक संस्थाएं और सामाजिक संस्थाएं तो आगे आ ही रही है, वहाँ के विद्यालयों, विश्वविद्यालयों यहाँ तक की अनुसंधान एवं संस्थाओं में हिन्दी के पठन-पाठन एवं शोध की अच्छी व्यवस्था किया है। भारत से जो गिरमिटिया मजदूर मॉरीशस, फ़िजी, गुयाना, त्रिनिदाद, सूरीनाम आदि देशों में गए, उन लोगों ने भी इन देशों में हिन्दी का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार किया और अपनी सांस्कृतिक पहचान के रूप में गीता और रामायण भी ले गए।