वर्तमान भारतीय समाज में महिलाओं का बदलता दायरा और बढ़ते अधिकार
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Author(s):
NARESH SINGH NEGI
Vol - 6, Issue- 8 ,
Page(s) : 56 - 61
(2015 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
ः- भारतीय संस्कृति व सभ्यता में नारी को देवी के रूप में पूजा गया है, इसलिए यह कथन उचित प्रतीत होता है-‘‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’’ अर्थात् जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं। शायद ही अन्य किसी संस्कृति में महिलाओं को इतना उच्च स्थान दिया होगा, परन्तु वास्तविकता यह है कि भारतीय समाज में महिला सदियों से पीडि़त रही है। गर्भावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक उसके साथ भेदभाव किया जाता रहा है। प्राचीन समय में स्त्रियों की स्थिति दयनीय थी। वह घर के अन्दर, घर के लोगों द्वारा प्रताडि़त होने के लिये विवश थी। उसे भर पेट खाना न देना, ताने देना, मारना-पीटना, पढ़ने न देना, यौन हिंसा करना आदि आम बात थी। स्त्रियों का घर से बाहर निकलना ही अशुभ माना जाता था। विवाह के नाम पर उनका क्रय-विक्रय किया जाता था।
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