हरियाणा में सूचना का अधिकार -2005 समस्याएँ व समाधान
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Author(s):
MEENU RANI
Vol - 5, Issue- 2 ,
Page(s) : 550 - 554
(2014 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
यह सर्वविदित तथ्य है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 सभी नागरिकों को भाषण तथा अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता प्रदान करता है। अभिव्यक्ति की क्रिया जानने के अभाव में संभव नहीं है। 1976 में राजनारायण बनाम उत्तरप्रदेश के एक अभियोग में सर्वोच्च न्यायालय ने इसी बात की पुष्टि की थी। इस तरह सूचना का अधिकार मौलिक अधिकार है। लोकतन्त्रीय शासन व्यवस्था में सभी नागरिकों को समान अभियक्ति का अधिकार मिलना उनका मानव अधिकार है। सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 एक ऐसी व्यवस्था कायम करता है कि लोकोन्मुखी प्रशासन अभिव्यक्त होने लगता है और प्रशासन तन्त्र में पारदर्शिता आती है व वह जनता के प्रति उत्तरदायी बना रहता है। इस अधिनियम के लागू होने से देश में ऐसे घोटाले उजागर हुए हैं जो इसके अभाव मंे जनता के सम्मुख कभी नहीं आ सकते थे। परन्तु यह एक विडम्बना ही है कि आज भारतीय लोकतन्त्र का एक बहुत बड़ा हिस्सा इसके उपयोग से अनजान है। अन्ततः इसके सफल संचालन में अनेकों बाधाऐं हैं, जिनका निराकरण अत्यन्त आवश्यक है। ’’
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