केन्द्र-राज्य वित्तीय सम्बन्ध - एक विवेचनात्मक विवरण
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Author(s):
MEENU RANI
Vol - 5, Issue- 9 ,
Page(s) : 65 - 70
(2014 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
संघ व्यवस्था में, केन्द्र तथा राज्यों की सरकारों में संविधान के अन्र्तगत शक्तियों का बंटवारा आवश्यक है। किन्तु शक्ति के बटंवारे के साथ वित्तीय साधनों का बटट्टवारा भी अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि बिना पर्याप्त वित्तीय साधनों के विभिन्न शक्तियों का कोई अर्थ नहीं होगा। अतः साधारणतया प्रत्येक संघ व्यवस्था में केन्द्र तथा राज्यों की सरकारों का अपने वित्तीय साधनों पर स्वतन्त्रा और पृथक् नियन्त्राण होता है जिससे वे अपने क्षेत्राधिकारों के अन्र्तगत विभिन्न कार्यो को स्वतन्त्रातापूर्वक कर सकें। डाॅ0 महादेव प्रसाद शर्मा के शब्दों में संघीय वित्त व्यवस्था की आदर्श प्रणाली वह होगी जिसमें स्पष्ट रूप से राजस्व स्रोतों का विभाजन संघ तथा राज्यों के मध्य में किया गया है जिससे दोनों पक्षों में से प्रत्येक को एक-दूसरे से स्वतन्त्रा बनाया जा सके तथापि कुछ ही संघीय देश इसको प्राप्त कर सके हैं।
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