International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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विषिश्ट बालको के विकास में विद्यालय की भूमिका
1 Author(s): DR.SEEMA PANDAY
Vol - 7, Issue- 6 , Page(s) : 54 - 57 (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
व्यक्तियों में परस्पर विभिन्नताओ का होना स्वभाविक ही हैं। इस संसार कोई भी दो व्यक्ति पूरी तरह से एक समान नही हो सकते। यही कारण है कि किसी विद्यालय या कक्षा में षिक्षा प्राप्त करने के लिये जो बालक आते है उनमें षारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक दृश्टि से अनेक प्रकार की विभिन्नताये दिखाई देती है। कुछ बालकों को सामान्य तथा औंसत बालक कहा जा सकता है, कुछ मंद बुद्धि बालक होते है कुछ बालक तीव्र बुद्धि वाले होते है तथा कुछ बालक विभिन्न प्रकार के षारीरिक दोशो से युक्त होते है ऐसे बालक जो सामान्य बालको से पर्याप्त भिन्नता रखते है उन्हें अपवादात्मक बालक या विषिश्ट बालक कहा जाता है। इस तरह के बालको को स्कूल की षिक्षा तथा उसमें विकास का पूरा अधिकार हैं। ऐसा हमारे सविधान में प्रावधान है।