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 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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युगदृष्टा संत नितानन्द

    1 Author(s):  DR. BABITA TANWAR

Vol -  7, Issue- 11 ,         Page(s) : 5 - 11  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

संत साहित्य में नितानन्द जी निस्सन्देह अन्यतम स्थान के अधिकारी हैं। इनका साहित्य अत्यंत समृद्ध है जिसमें विभिन्न जीवन-सत्यों और तथ्यों की अभिव्यक्ति हुई है। इनका समस्त साहित्य जीवन-मूल्यों की प्रतिस्थापना करता है क्योंकि नितानन्द युग में समाज अनेक विकारों से ग्रस्त था जिसके फलस्वरूप जीवनयापन में लोगों को पर्याप्त संघर्षों का सामना करना पड़ता था। समाज में छल-प्रपंच और मिथ्याड़म्बरों का बोलबाला था। केवल यही नहीं जाति-पाति का भेदभाव भी चरम सीमा पर था। पारस्परिक ईर्ष्या-द्वेष एवं वैमनस्य समाज में दरार पैदा कर रहा था। धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर उत्पन्न हुई परिस्थितियों ने सामाजिक समरसता को अवनति की चरम सीमा तक पहुँचा दिया था। ऐसे पतित युग में संत नितानन्द का प्रादुर्भाव हुआ। उन्होंने एक सच्चे साधक के रूप में परिस्थितियों का अध्ययन करके सामाजिक विषमताओं एवं विसंगतियां को अनुभूत किया तथा धर्म के नाम पर होने वाले पाखण्ड एवं बाह्याड़म्बरों का खण्डन करके सामाजिक सौहार्द भाव उत्पन्न करने का भरसक प्रयास किया। उन्होंने छल-प्रपंचों को समाज हितैषी न बताकर ऐसा करने वालों की घोर निन्दा की है और कहा है कि आज लोग सामने तो मधुर वाणी बोलते हैं लेकिन मन में छल-कपट एवं ईर्ष्या भाव रखते हैं। वे ऐसी दोहरी मानसिकता के लोगों को लताड़ते हैं तथा उनसे सावधान रहने का सन्देश देते हुए कहते हैं -

  1. सत्यसिद्धान्त प्रकाश (असाध का अंग) पृष्ठ. 234
  2. वही॰ (भेष का अंग) पृष्ठ. 225
  3. वही॰ (भेष का अंग) पृष्ठ. 226
  4. वही॰ (कुसंग का अंग) पृष्ठ. 227
  5. वही॰ (कुसंग का अंग) पृष्ठ. 227
  6. वही॰ (कामी का अंग) पृष्ठ. 193
  7. वही॰ (कामी का अंग) पृष्ठ. 193
  8. वही॰ (पतिव्रता का अंग) पृष्ठ. 103
  9. वही॰ (साध का अंग) पृष्ठ. 239
  10. वही॰ (मांस आहार निषेध का अंग) पृष्ठ. 345
  11. वही॰ (मांस आहार निषेध का अंग) पृष्ठ. 345
  12. वही॰ (भरम विधूषण का अंग) पृष्ठ. 217
  13. वही॰ (भरम विधूषण का अंग) पृष्ठ. 217
  14. वही॰ (भरम विधूषण का अंग) पृष्ठ. 218
  15. वही॰ (मांस आहार निषेध का अंग) पृष्ठ. 348
  16. वही॰ (मांस आहार निषेध का अंग) पृष्ठ. 349
  17. वही॰ (सांच का अंग) पृष्ठ. 212
  18. वही॰ (हेतप्रीत का अंग) पृष्ठ. 319
  19. वही॰ (गुरू शिष्य हेरा का अंग) पृष्ठ. 312
  20. वही॰ (गुरू शिष्य हेरा का अंग) पृष्ठ. 312
  21. वही॰ (विश्वास का अंग) पृष्ठ. 270
  22. वही॰ (धीरज का अंग) पृष्ठ. 275
  23. वही॰ (सतसंग का अंग) पृष्ठ. 230
  24. वही॰ (सतसंग का अंग) पृष्ठ. 230
  25. वही॰ (निन्दा निषेध का अंग) पृष्ठ. 357
  26. वही॰ (निन्दा निषेध का अंग) पृष्ठ. 360
  27. वही॰ (निन्दा निषेध का अंग) पृष्ठ. 362

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