International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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स्व. निरंकार देव सेवक जी की साहित्यिक एवं सामाजिक सेवायें
1 Author(s): DR. PUNEET SRIVASTAVA
Vol - 8, Issue- 7 , Page(s) : 31 - 33 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
चिन्तन के धनी श्री निरंकार देव जी का प्रारम्भिक जीवन मध्यम वर्गीय समाज के बीच व्यतीत हुआ था। गुलामी के दिनों के संघर्षों से जूझे थे। और इन परिस्थितियों में उन्होंने पराधीन भारत में गुलाम सन्तान न पैदा करने का व्रत लिया था। उनके हृदय में देश-प्रेम की भावना थी और आजादी प्राप्ति के लिए उनका मन छटपटाता रहता था। वे लिखते हैं - ‘‘मेरे साथ के लड़के कुछ क्रान्तिकारी विचार के थे। एक बार वे बम लेकर जा रहे थे तो पकड़े गये इसलिए मेरे घर पर छापे पड़े। इन सबसे मेरे मन में भावना उठती थी, मगर कुछ विचार नहीं बन पाता था। मैंने जब बरेली काॅलेज मे प्रवेश लिया तो वहाँ के देश-भक्त छात्रों के सम्पर्क में आया, वहाँ के स्टूडेन्ट फैडरेशन का सक्रिय सदस्य बन गया.