International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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रंगभूमि और गाँधीवाद
1 Author(s): INDU BALA
Vol - 8, Issue- 7 , Page(s) : 176 - 179 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
प्रेमचन्द ने जिस समय साहित्य में पदार्पण किया उस समय समाज रूढ़ियों और विसंगतियों से घिरा हुआ था। समाज ने तत्कालीन गले-सड़े संस्कारों का आवरण ओढ़ रखा था। दूसरी तरफ लोग व्यक्तिगत और राष्ट्रीय सम्मान के लिए भी आवाज उठा रहे थे। प्रेमचन्द और गाँधी लगभग एक साथ ही मंच पर उपस्थित हुए। उन्होंने समाज तथा व्यक्ति की दमघोटूँ व्यवस्था के विरूद्ध आवाज उठाई। प्रेमचन्द ने भी गाँधीवाद को स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वे कलम के मजदूर थे। रंगभूमि उपन्यास से महात्मा गाँधी द्वारा चलाए गए जन-आंदोलन को बड़ी व्यापक अभिव्यक्ति मिली।