1- ‘नृनरयोवृद्धिश्च’ इति शांगर वादि 4.1.73 गणे पाठान् डीन्। जाति लक्षणस्य 4.1.7.63 डीषोऽपवादः। आकृति ग्रहणा जातिः इति नृ शब्दों जातिवाचकः।
2- ऋग्वेद -अनुवाद-8 सूक्त-183 श्लोक सं0 10
3- ऋग्वेद-अनुवाद-8 अ0 3 सूक्त-85
4- ऋग्वेद-अनुवादक-1 सूक्त सरका-167
5- ऋग्वेद-4.42.8.1.16.13
6- ऋग्वेद-10.85.38
7- ऋग्वेद-11.1.112
8- ऋग्वेद-5.61.27
9- ऋग्वेद-5.52.61.8.35.38
10- ऋग्वेद-10.34.3
11- ऋग्वेद-म0 10 अ0 7 सू0 85
12- अथर्ववेद- 11.3.6.19
13- अथर्ववेद-10.9.126
14- ऋग्वेद-8.91.5-6
15- अर्थववेद भाश्य-पृष्ठ-545(शौनकीय)वि0 बन्धु प्रकाशन होशियारपुर सं01 म07