International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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वैदिक साहित्य में वर्ण व्यवस्था
1 Author(s): MANOJ KUMAR AGRAHARI
Vol - 8, Issue- 7 , Page(s) : 202 - 209 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
वैदिक आर्य एक अत्यन्त सभ्य एवं सुसंस्कृत लोग थे। इसलिए यह स्वाभाविक है कि उन्होंने अपने समाज को एक निश्चित व्यवस्था में बांध रखा था। जो भारतीय संस्कृति की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। किसी भी समाज या राष्ट्र के लिए जिन प्रमुख मानवीय कार्य.व्यापारों का होना आवश्यक है, वे सब वर्ण.व्यवस्था से समाविष्ट है। वर्ण व्यवस्था का मुख्य प्रयोजन कर्म.विभाजन का सिद्धान्त है। समाज के कार्य को ठीक प्रकार से चलाने के लिए वर्ण व्यवस्था का निर्माण किया गया। विभिन्न जातियों एवं वर्णों की जन्मना और कर्मणा स्थिति के सम्बन्ध में बड़ा मत.मतान्तर हैं।