दलित साहित्य: सामाजिक समता का पक्षधर
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Author(s):
INDU BALA
Vol - 8, Issue- 5 ,
Page(s) : 181 - 184
(2017 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
दलित साहित्य को भली-भाँति समझने के लिए हमें यह पहले जान लेना आवश्यक है कि ‘दलित’ शब्द से हमारा क्या अभिप्राय है।
‘दलित’ शब्द - दल$त से बना है, जिसका अर्थ है टूटा हुआ, कटा हुआ, पिसा हुआ, चिरा हुआ, खुला हुआ, फैला हुआ।
मानक हिन्दी-अंग्रेजी शब्दकोश के अनुसार- ‘दलित शब्द का अर्थ है डिप्रेसड़ अर्थात् दबाया हुआ।’
- मानव हिन्दी-अंग्रेजी शब्द कोश, राममूर्ति सिंह।
- उच्चतर हिन्दी कोश, हरदेव बाहरी, पृष्ठ 136
- वृहत अंग्रेजी-हिन्दी कोश (प्रथमा भाग)हरदेव बाहरी, पृ0 504
- संक्षिप्त शब्द सागर-नागरी प्रचारिणी काशी, डाॅ0 रामचन्द्र वर्मा, पृ0 468
- हंस-अक्तूबर, 1992, श्री नारायण सुर्वे, पृ0 23
- सं0 श्री केशव मेश्राम, दलित साहित्य: सृजन के संदर्भ, पृ0
- धर्मयुग-मई, 1994, ‘अगर मैं दलित होता’, पत्रकार राजकिशोर, पृ0 22
- दलित साहित्यः सृजन के संदर्भ, डाॅ0 पुरूषोत्तम सत्यप्रेमी
- वही पृष्ठ, 26
- वही पृष्ठ, 25
- वही पृष्ठ, 28
- ‘हरिजन से दलित’, सम्पादक राजकिशोर, पृ0 20
- वही पृ042
- वही पृ0 68
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