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 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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न्यायदर्शन में निहित शैक्षिक विचारों की प्रासंगिकता

    1 Author(s):  DR. MANJU CHAUDHARY

Vol -  8, Issue- 9 ,         Page(s) : 14 - 16  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

इस शोध पत्र में न्यायदर्शन पर आधारित शैक्षिक विचारों की प्रासंगिकता का ऐतिहासिक एवं समीक्षात्मक विश्लेशण किया गया है। प्रस्तुत शोध पत्र में न्यायदर्शन प्रणेता महर्षि गौतम के शिक्षा दर्शन से सम्बन्धित विचारों की विवेचना की गई है। और उन्ही के अनुसार नीतियों का शिक्षा से सम्बन्धित एवं न्याय सम्बन्धित सन्दर्भ में विचारों का विश्लेषण किया गया है। एक स्वाभिमानी राष्ट्र भी शिक्षा प्रणाली का आधार उसकी परम्परागत राष्ट्रीय संस्कृति होती है। महर्षि गौतम का न्यायदर्शन भारत का विश्वविख्यात तर्क विज्ञान है न्याय दर्शन शिक्षा दर्शन का अद्वितीय ग्रन्थ है। इसी आधार पर न्यायदर्शन का चयन अनुसंधापिकाओं ने अपने शोध में किया है।

  1. दर्शनानन्द सरस्वती, नयायदर्शन हिन्द पुस्तक भण्डार, दिल्ली।
  2. श्री अरविन्द: भारतीय संस्कृति के आधार, श्री अरविन्द आश्रम, पाण्डिचेरी 1988
  3. सुबोध अदावल, भारतीय शिक्षा सिद्धान्त, गर्ग प्रकाशन, इलाहाबाद।
  4. श्री राम, आचार्य, न्यायदर्शन, संस्कृति संस्थान बरेली।
  5. उदयवीर शास्त्री: न्यायदर्शन, विजय कुमार गोविन्द राम, दासानन्द दिल्ली।

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