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                                        सहिष्णुता और सामाजिक समरसता: एक विश्लेषण
                                   
                             
                                         
                                               
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                                           Author(s):   
                                                NARPAL SINGH
                                                 
                             
               
                              Vol -  8, Issue- 9 , 
                         
                   
                                                     Page(s) : 218  - 223
                   
                                         (2017  )
                                         
                                             DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ  
                                        
                                           
                 
                             
                                Abstract
                                        
                                            सहिष्णुता और सामाजिक समरसता में घनिष्ठ सम्बन्ध है। दोनों को एक ही सिक्के के दो पहलू कहा जा सकता है। मनुष्य में सहिष्णुता के विकास के साथ ही सामाजिक समरसता में वृद्धि होती है और असहिष्णुता बढ़ने से सामाजिक समरसता में ह्रास होता है। वर्तमान समय में समाज में व्याप्त धार्मिक असहिष्णुता ने लोगों का ध्यान सहिष्णुता की ओर आकर्षित किया है। सहिष्णुता और असहिष्णुता को लेकर समाज में साम्प्रदायिक व राजनीतिक बहस भी होती रहती है। 
                                         
                                  
                              
                             
                                       
                                        
                                            
                                                  - Oxford Dictionary
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