झारखण्ड जनजातीय महिलाओ का उत्प्रवासन एवं शहरो मे उनकी परिस्थितिया
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Author(s):
ARCHANA JHA
Vol - 8, Issue- 11 ,
Page(s) : 144 - 151
(2017 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
प्रवासन एक जटिल मुद्रा है। जो समाजशात्रीय एवं बुद्धिजीवियो लोगो मे यह कई सालो से गहरी रूचि का विषय रहा है यदि हम प्रवासियों मे आदिवासी महिलाओ की बात करे तो अपने स्थानों से बाहर काम करना उनके लिए ओर अधिक उत्पीडन और अधीनस्ता भरा कार्य माना जाता है। उनकी समस्याएं कई गुना बढ़ जाती है। झारखण्ड राज्य, यहाँ जनजातीय समूहों का केन्द्रीयकरण कई राज्यों से अधिक है ये राजनीतिक रूप से अस्थिर और भौगोलिक रूप से दूर दराज क्षेत्रों से आते है जहां बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए वह बड़े-बड़े शहरो की ओर महिलाये उत्प्रवासन करती है। उत्प्रवासन के पश्चात कुछ महिलाओ की बुनियादी जरूरते पूरी होती है उनकी स्थिति अच्छी होती है और कुछ महिलाओ की स्थितियो मे ज्यादा अंतर नहीं आता है। चुकि इनके पास अपनी बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं की कमी है, यहाँ माइग्रेशन केवल एक ही तरीका के रूप मे देखा जा सकता है। लेकिन जब महिलाओ की बात आती है तो इसे स्वीकार करना मुश्किल है किन्तु अपनी आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए इन्हें यह कदम उठाना पड़ता है।
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