भारतेन्दु युगीन कवि एवं हिन्दी काव्य का स्वरूप
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Author(s):
SITA KUMARI
Vol - 6, Issue- 4 ,
Page(s) : 238 - 243
(2015 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
अनेक समालोचक और हिंदी साहित्य के इतिहासकार 1850 ई. से 1900 ई. तक के काल को भारतेंदु-युग के नाम से अभिहित करते हैं। 1850 ई. में भारतेंदु का जन्म हुआ। साहित्यिक कृतिकार के रूप में उनकी रचनाओं का प्रकाशन 1868 ई. के बाद से आरंभ हुआ। अतः 1850 ई. से भारतेंदु-युग का आरंभ मानना युकितसंगत प्रतीत नहीं होता। जन्म ग्रहण करते ही अपनी युग-निर्माणकारी प्रतिभा से उन्होंने नवयुग का निर्माण कर दिया। 1868 ई. से 1900 ई. तक के काल को भारतेंदु-युग माना जा सकता है।
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