International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 303    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

श्रीमद्भगवद्गीतादृष्टड्ढा मूल्यानि

    1 Author(s):  JITENDER

Vol -  9, Issue- 1 ,         Page(s) : 154 - 160  (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

गीतावचनामृतस्य आचमनमात्रोणैव मनुष्यस्य हताशा, निराशा च आशायां परिवर्येते। तस्याः शिक्षावचनस्य स्वजीवने आचरणेन भोगस्य मोक्षस्य च सकृदेव प्राप्तिः भवति। समता-सरलता-स्नेह-शान्त्यादिनां सात्विकगुणानां च विकासं कृत्वा अध्मदिन्याच्च संघर्षकरणार्थं सामथ्र्यप्रदात् श्रीमद्भगवद्गीतायाः कालजयीचिन्तनं

  1. स्वामी प्रभुपाद, श्रीश्रीमद् ए. सी. वेदान्त (1983), भक्तिवेदान्त, बुक ट्रस्ट, मुम्बई
  2. कुलश्रेष्ठ, एस. पी. (2006), शैक्षिक तकनीकी के मूलाधर, विनोद पुस्तक मन्दिर, आगरा
  3. सिंह, अरुण कुमार (2008), शिक्षा मनोविज्ञान, भारती भवन पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स, पटना
  4. पाल, हंसराज (2006), प्रगत शिक्षा, मनोविज्ञान, हिन्दी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
  5. सिंह, गया (2013), शैक्षिक तकनीकी के मूल तत्त्व एवं प्रबन्ध्न, आर. लाल बुक डिपो, मेरठ
  6. पाण्डेय, रामशकल (2013), उदीयमान भारतीय समाज में शिक्षक, अग्रवाल पब्लिकेशन्स, आगरा

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details