श्रीमद्भगवद्गीतादृष्टड्ढा मूल्यानि
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Author(s):
JITENDER
Vol - 9, Issue- 1 ,
Page(s) : 154 - 160
(2018 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
गीतावचनामृतस्य आचमनमात्रोणैव मनुष्यस्य हताशा, निराशा च आशायां परिवर्येते। तस्याः शिक्षावचनस्य स्वजीवने आचरणेन भोगस्य मोक्षस्य च सकृदेव प्राप्तिः भवति। समता-सरलता-स्नेह-शान्त्यादिनां सात्विकगुणानां च विकासं कृत्वा अध्मदिन्याच्च संघर्षकरणार्थं सामथ्र्यप्रदात् श्रीमद्भगवद्गीतायाः कालजयीचिन्तनं
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