International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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कर्मयोग (भौतिक साधना)
1 Author(s): POONAM DEVI
Vol - 8, Issue- 1 , Page(s) : 103 - 107 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
समतापूर्वक कर्तव्य कर्मों का आचरण करना ही कर्मयोग कहलाता है। कर्म योग में खास निष्काम भाव की मुख्यता है। निष्काम भाव न रहने पर केवल ‘कर्म’ होते हैं, कर्मयोग नहीं होता। शास्त्रविह्ति कर्तव्य कर्म करने पर भी यदि निष्काम भाव नहीं है तो उन्हें कर्म ही कहा जाता है,