International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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तुलसी के पदों में प्रयुक्त रागों का विश्लेषणात्मक अध्ययन (रागों का शास्त्रीय परिचय और स्वरूप)

    1 Author(s):  SATWINDER KAUR

Vol -  5, Issue- 4 ,         Page(s) : 301 - 305  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

तुलसीदास के महाकवि के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त है। आपकी रचनाएं असीम है। रामचरित मानस तो जल-जन मेें ऐसे व्यापत है, जैसे प्रत्येक हृदय में राम। तुलसी के गीति-काव्यों को संगीत के आधार पर स्वर एवं लयबद्ध किया गया है जिससे वे गेय हो सके हैं।

  1.   गीतावली (बालाकाण्ड) ‘तुलसीदास’, पृ 59.
  2.    ‘विनय पत्रिका’, टी.राजेश्वर प्रसाद, पृ. 86.
  3.    पंडित शरंगदेव, संगीत रत्नाकर, प्र.अ.
  4.    हिन्दी पद परम्परा और तुलसीदास, डाॅ. रामचन्द्र मिश्र, पृ. 276.

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