स्वतंत्रता आन्दोलन में पूर्वांचल की भूमिका
1
Author(s):
DR. RAJESH KUMAR SINGH
Vol - 7, Issue- 4 ,
Page(s) : 98 - 103
(2016 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
पूर्वांचल की धरती हमेशा क्रांतिकारी रही है। यह धरती राष्ट्रवादी विचारधारा से ओत-प्रोत रही। 1877 ई॰ से सम्पादित हिन्दी प्रदीप एवं 1884 ई॰ से सम्पादित भारत जीवन ने राष्ट्रवादी विचारधारा का खूब प्रचार-प्रसार किया। 1857 ई॰ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में पहली गोली पूर्वांचल के ही शेर मंगल पाण्डेय द्वारा चलायी गयी। अवध का विलय, चैरी-चैरा काण्ड, असहयोग आन्दोलन, कुँवर सिंह, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, सर सैयद अहमद खाँ, पण्डित मदन मोहन मालवीय, आचार्य नरेन्द्र देव, डाॅ॰ राम मनोहर लोहिया जैसे हजारों लोगों ने स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- विपिन चन्द्र, भारत का स्वतंत्रता संघर्ष हिन्दी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय दिल्ली विश्वविद्यालय, 2010
- शुक्ल रामलखन, आधुनिक भारत का इतिहास हिन्दी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय दिल्ली विश्वविद्यालय, 2006
- कुशवाहा सुभाष चन्द्र, चैरी-चैरा और स्वाधीनता आन्दोलन पेंगूइन बुक्स
- लाल लक्ष्मीनारायण, जय प्रकाश
- कोहन वी॰एस॰ सिविल डिस्टरवेन्स डियूरिंग द ब्रिटिश रुल इन इण्डिया, 1765-1857
- आनन्द ए. यंग द लिमिटेड राज अग्रेरीयन रिलेसन्स इन कालोनियल इण्डिया सारण डिस्ट्रिक 1793-1920 ओ यूपी, देलही, 1989
- चन्दर ए.एन, सन्यासी विद्रोह
- थरेजा पुष्पा, भारतेन्दु युगीन साहित्य में राष्ट्रीय भावना
- शर्मा रामविलास, भारतेन्दु युग और हिन्दी भाषा के विकास परंपरा
- रिजवी एस.ए.ए, आर.एच. निबलेट, द कांग्रेस रिबेनियन आजमगढ़ अगस्त सितम्बर 1942, इलाहाबाद 1957
- कौशिकेय शिवकुमार सिंह 1942 की अगस्त क्रांति और बलिया, क्षेत्रिय अभिलेखागार वाराणसी, 2011
|