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 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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काल-चेतनाः सैद्वान्तिक स्वरूपगत एंव साहित्यिक लक्षण

    1 Author(s):  DR. SAMEER

Vol -  10, Issue- 3 ,         Page(s) : 54 - 57  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

‘काल‘-चेतला शब्द ‘काल‘ और ‘चेतना‘ शब्दों के सुमेल से बना है दोनो शब्द भाववपचक संज्ञा है। ‘काल‘ का सम्बन्ध समस्त जगत् से है और ‘चेतना‘ का सम्बन्ध मानव मस्तिष्क से है। अतः काल-चेतना शब्द समय के प्रति जागरुकता का वाचक है। यह समय के प्रति चेतना है, समय की चेतना है, काल के प्रति चेतना होने की गति स्थिति है। इस प्रकार काल-चेतना ‘काल‘ को आत्मा और बुद्धि से अनुभव करने की क्र्रिया है। अंग्रजी में ’काल-चेतन’ के लिए ब्वदेपवनेदमेे व िजपउम का प्रयोग होता है जिसका अर्थ भी समय के प्रति जागरुकता ही है।

1 अश्रेय, संवत्सर (नयी दिल्लीः नेशनल् पब्लिशिंग हाउस, 1978)
2 रिर्यकान्त त्रिपाठी निराला, राग विराग (इलाहावादः लोक भारती प्रकाशन 1974 पृष्ठ 55,56
3 कालीदास, मेधदूत, अनुवादक (दिल्लीः आत्माराम एण्ड संस,1982 पृष्ठ 9
4 हरिवंश राए बच्चन, अभ्निव सोपान, (दिल्लीः राजपाल एण्ड सन्ज 1964 पृष्ठ 124

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