International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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भारतीय सांस्कृतिक उत्सवों में संगीत का महत्त्व
1 Author(s): DR. AARTI SHEOKAND
Vol - 11, Issue- 4 , Page(s) : 30 - 35 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
किसी देश की कलाएं उस देश की आत्मा होती है और संस्कृति की झलक इन्हीं कलाओं से स्पष्ट होती है । संस्कृति के अपने मानदण्ड होते हैं । जिससे विमुख होकर कलाएं विकसित नहीं हो सकती । संस्कृति अपने आप मं बहुत विस्तृत और व्यापक है । संस्कृति सभ्यता का ही रूप है । जहां इन दोनों में गहरा संबंध है, वहां भिन्नता भी है । यदि सभ्यता हमारा शरीर है तो संस्कृति हमारी आत्मा । सभ्यता हमारे ब्राह्य रूप को उजागर करती है, तो संस्कृति हमारी आत्मा, विचारों तथा संस्कारों का उल्लेख करती है । भौगोलिक वातावरण और ऐतिहासिक अनुभवों पर निर्भर रहने के कारण सभ्यता अपना रूप समय-समय पर बदलती रहती है । इसके विपरित कुछ ऐसी विशेषताएं होती हैं जो समाज का अभिन्न अंग बन जाती है ।
1. डॉ॰ सुभद्रा चौधरी, संगीत संचयन2. भगवत शरण शर्मा, भारत संगीत का इतिहास3. स्वतंत्र बाला शर्मा, भारतीय संगीत का वैज्ञानिक विश्लेषण4. डॉ॰ मुकुंद लाल, संगीत सागर5. गुलशन सक्सेना, संगीत सकंल्प