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 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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साठोत्तरी महिला कहानीकारों की कहानियों में संयुक्त परिवार और नारी

    1 Author(s):  DILRAJ MEENA

Vol -  8, Issue- 6 ,         Page(s) : 229 - 234  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

‘साठोत्तरी महिला कहानीकारों की कहानियों में संयुक्त परिवार और नारी’ शोध पत्र के अंतर्गत संयुक्त परिवार में नारी का योगदान एवं नारी के जागरुक स्वरुप को अभिव्यक्त किया है। साठोत्तरी महिला लेखिकाओं ने अपनी कहानियों में महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ पारिवारिक एवं सामाजिक समस्याओं के विभिन्न घटकों को अभिव्यक्त किया हैं। भारतीय सामाजिक एवं पारिवारिक व्यवस्था में भी संयुक्त परिवार की अहम् भूमिका रही हैं। संयुक्त परिवार की व्यवस्था वर्तमान में धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है जिसके कारण परिवारिक रिश्तों में बिखराव एवं मानवीय मूल्यों में हास हो रहा है। महिला कहानिकारों ने अपनी कहानियों में एकल परिवार एवं संयुक्त परिवार के सकारात्मक एवं नकारात्मक स्वरूप के परिणामों से अवगत कराते हुए संयुक्त परिवार के महत्त्व को अधिक अभिव्यक्त किया है।

1. साठोत्तरी हिन्दी कहानी : उपलब्धि और सीमाएँ - जीतेन्द्र वत्स, पृष्ठ संख्या 60
2. स्वातंत्रोतर हिन्दी कथा साहित्य में नारी के बदलते संदर्भ - डॉ. शीला रजवार, पृष्ठ संख्या 124                                                          
3. हिन्दी कहानी के बदलते प्रतिमान - डॉ. वाष्णेय, पृष्ठ संख्या 172   
4. मालती जोशी की कहानियां - मालती जोशी, पृष्ठ संख्या 108 
5. एक घर सपनां का - मालती जोशी, पृष्ठ संख्या 65 
6. प्रतिदिन - ममता कालिया, पृष्ठ संख्या 103 
7. समकालीन कहानी : युगबोध का संदर्भ - डॉ. पुष्पपाल सिंह, पृष्ठ संख्या 94

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