International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 51    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

अमरकांत की कहानियों में नारी जीवन की विसंगतियाँ

    1 Author(s):  DHARM CHAND

Vol -  8, Issue- 5 ,         Page(s) : 263 - 266  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

नयी कहानी आन्दोलन के समय प्रायः सभी कहानीकारों ने अपनी कहानियों में नारी जीवन एवं उनकी संघर्ष चेतना को केन्द्र में रखा। सन् 70 का दशक स्त्री-विमर्श आन्दोलन का हिन्दी साहित्य में प्रारम्भिक दौर था। लेकिन अमरकन्त ने 60 के दशक में ही ‘दोपहर का भोजन’ जैसी कहानी लिखकर ‘स्त्री’ को कहानी के केन्द्र बिन्दु में ला दिया।

    अमरकान्त : एक मूल्यांकन, सं. रवीन्द्र कालिया, सामयिक बुक्स, दिल्ली प्र.सं. 2012, पृ. 170 
    वही, पृ. 219
    अमरकान्त की सम्पूर्ण कहानियाँ (पहला खण्ड), भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली, प्र.सं. 2013, पृ. 373
    वही, पृ. 373-374
    वही, पृ. 119
    वही, पृ. 431
  वही, पृ. 432
    वही, पृ. 264
    अमरकान्त : संकलित कहानियाँ, नेशनल बुक ट्रस्ट इंडया, नई दिल्ली, प्र.सं. 2008 पृ. 73-74
  वही, पृ. 76-77
  अमरकान्त की सम्पूर्ण कहानियाँ, (पहला खण्ड) भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली, प्र.सं. 2013, पृ. 334
  अमरकान्त की सम्पूर्ण कहानियाँ, (दूसरा खण्ड) भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली, प्र.सं. 2013, पृ. 158

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details