International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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समाजिक परिवर्तन और स्वयं सहायता समूह (एक समाजशास्त्रीय अध्ययन )

    1 Author(s):  NAVIN KUMAR

Vol -  2, Issue- 3 ,         Page(s) : 77 - 82  (2011 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

परिवार के उस घटक का नाम महिला है, जो परिवार की रीढ़ होने पर भी कुछ भी नहीं होती । परिवार तंत्रा के संचालन में उसकी अहम् भूमिका होती है, किन्तु उसका स्वयं का अस्तित्व विवादास्पद रहता है । वह कभी अपने लिए नहीं जीती पिफर भी उसकी सांसों पर पहरे लगे रहते हैं । वह सबके सुख-दुःख में भागीदार बनती है, पर उसका दुःख उसे अकेले ही भोगना पड़ता है । वह सबकी मानसिकता को समझकर अपना कार्यक्रम निश्चित करती है, किन्तु उसके मन को समझने की चिंता किसी को नहीं है । उसके जीवन की सार्थकता पुरफष की अध्ीनता स्वीकार करने में ही मानी जाती है । वह कितनी ही सक्षम और समझदार क्यों न हो, एक औरत होने के कारण ही वह सबकी उपेक्षा का शिकार होती है ।

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