International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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CONCEPT OF EDUCATION PHILOSOPHY OF ACHARYA RAJNEESH

    3 Author(s):  SHALINI RANI DAS ,MANISHA RANI DAS ,ASHOK KUMAR

Vol -  2, Issue- 3 ,         Page(s) : 90 - 94  (2011 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

स्वभावतः मानव एक चिन्तनशील प्राणी है। चिन्तन मानव का नैसर्गिक गुण हैं। इसी गुण के कारण मानव अन्य प्राणी से भिन्न है। इसी गुण के कारण समाज का निर्माण भी हुआ है। इसी गुण के कारण मानव के जीवन शैली का विकास हुआ है। आचार्य रजनीश के शिक्षा दर्शन में जीवन के भौतिक पहलू, यथार्थ पहलू, व्यवहारिक पहलू पर आदर्श पहलू में सामंजस्य देखा जाता है। उनकी मान्यता रही है कि शिक्षा रूढियों के कब्रिस्तान में शब्दों के उक्षल कूद का ही नाम नहीं है, बल्कि शिक्षा गीवंता, सतत गतिशीलता और अंकुरण के अस्तित्व को पहचानने का उपक्रम है। जिसमें सम्पूर्ण वृक्ष होने की सम्भावना होती है। यदि शिक्षा का संबंध श्रद्धा और विश्वास को मानकर चलें तो यह शिक्षा का सही अर्थ नहीं होगा। शिक्षा का अर्थ विचार पैदा करना है। जहां विचार है, वहीं जीवन में शांति, वहीं नई खोज है।

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