International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 60    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

छत्तीसगढ़ी लोकनाट्यों में विकलांग-विमर्श : एक अध्ययन

    1 Author(s):  DR. HEMANT SINGH KANWAR

Vol -  11, Issue- 8 ,         Page(s) : 108 - 115  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

छत्तीसगढ़ी लोकनाट्य की अत्यंत समृद्ध परंपरा है। छत्तीसगढ़ी लोकनाट्यों के संरक्षण-संवर्धन के लिए समाज और शासन दोनों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। इस दिशा में छह-सात दशकों में इधर लोकनाट्य के प्रति शोध और मंचन के माध्यम से प्रतिष्ठा बढ़ी है और लोगों में इसके प्रति जागरूकता देखी जा रही है।‘लोकमंच लोक’ की आत्मा के औसुक्य को तृप्त करने पारंपरिक लोकनाट्य प्रस्तुति है। लोकगीत और लोकगाथा से गुंफित प्रहसन और नृत्य का सम्मिश्रित समन्वित प्रकटीकरण है। छत्तीसगढ़ी लोकनाट्यों में रामलीला, रहस अर्थात् रासलीला, नाचा, डिंड़वानाच अर्थात् नकटा नाच लोकप्रिय रहे हैं।‘डिंड़वा’ का अर्थ अपत्नीक या कुँवारापन है। यौवन के एकाकीपन के उन्माद ‘नकटा नाच’ संबोधन से भी विकलांगजनित सौंदर्य-बोध का आभास होता है।

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details