International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 35    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

गोरख पाण्डेय के साहित्य में प्रतिरोध का स्वर

    1 Author(s):  RAKESH KUMAR KASHYAP

Vol -  9, Issue- 2 ,         Page(s) : 282 - 286  (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

हिन्दी साहित्य जगत के सातवें-आठवें दषक के रचनाकारों में गोरख पाण्डेय का महत्त्वपूर्ण स्थान है। सन् 1968 का नक्सलबाड़ी - किसान आंदोलन उत्कर्ष पर था। जिसका गोरख पाण्डेय पर गहरा प्रभाव था। उनकी लेखनी की धार नक्सलबाड़ी-आंदोलन के ताप का है। उनकी समग्र रचनाएँ शोषित-पीड़ित को समर्पित है। उनकी रचनाओं में प्रतिरोध के स्वर को बार-बार दुहराया गया है। उनकी समग्र रचनाएँ अंधकार और सन्नाटे के विरूद्ध है। ‘तुम्हें डर है’ नामक कविता में गोरख लिखते हैंः-

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details