International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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भगवद्गीतोपनिषद् एवं निष्काम कर्मयोग
1 Author(s): CHANCHAL
Vol - 5, Issue- 2 , Page(s) : 51 - 57 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
भगवदगीतोपनिषद्- भगवद् + गीता + उपनिषद्। शब्दार्थ की दृष्टि से अर्थ हुआ भगवान के द्वारा गायी गई उपनिषदें। भगवान का अर्थ है भग् से युक्त तथा उपनिषद् का अर्थ है निकट बैठना। भग के अर्थ को समझने से पूर्व भम् शब्द को समझना होगा। भम् का अर्थ है ज्योति। सूर्य, चन्द्र, तारे, अग्नि और विद्युत तो पाँच भौतिक ज्योतियाँ है, परन्तु यहाँ ज्योति से तात्पर्य आत्मज्योति व ज्ञान ज्योति है। ‘‘जो इस भम् को गमयति प्राप्त करा दें वही भग् है व जो इस भग को धारण करे वही भगवान है।