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 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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संगीत में लय एवं ताल का महत्व

    1 Author(s):  ANURADHA KOTIYAL

Vol -  5, Issue- 4 ,         Page(s) : 225 - 230  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

स्वर और लय संगीत के दो आधार स्तम्भ हैं। तय समस्त भौतिक पदार्थों तथा प्राणियों में विद्यमान है। बिना लय के एक क्षण भी जीना असंभव है बल्कि यों कहिये कि मानव जीवन और सृष्टि का संचालन लय के द्वारा होता है। सूर्योदय-सूर्यास्त से लेकर प्रत्येक प्राणी व मनुष्य के हृदय स्पन्दन तक में गति रहती है।

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1. श्रीवास्तव, हरिशचन्द ‘‘संगीत निबंध संग्रह’’, पृष्ठ संख्या 90
2. “Aspect of Indian Music”,  Page No. 58
3. ’’संगीत’’, सितम्बर 1989 पृष्ठ संख्या 5
4. शर्मा, हरद्वारी लाल, ’’सौन्दर्यशास्त्र’’, पृष्ठ संख्या 153
5. परांजपे, शरच्चन्द्र श्रीधर, ’’संगीत बोध’’, पृष्ठ संख्या 72
6. Shankar Mani, “Indian Classical Music”, Page No. 53
7. सेन, अरुण कुमार, ’’भारतीय तालांे का शास्त्रीय विवेचन’’, पृष्ठ संख्या 54
8. भरतमुनि, ’’नाट्यशास्त्र’’, भाग 4, एकत्रिशोऽध्यायः, पृष्ठ संख्या 282
9. पाश्र्वदेव, ’’संगीत समयसार’’, अष्टामाधिकरणम, पृष्ठ संख्या 223
10. डाॅ॰ पाण्डे, महेश, ‘‘संगीत में लय एवं ताल’’

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