भारत में मानव पूँजी विकास का अर्थशास्त्रीय अध्ययन
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Author(s):
DR. SHIV KUMAR
Vol - 6, Issue- 1 ,
Page(s) : 224 - 235
(2015 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
किसी देश का आर्थिक विकास उसकी कार्यकुशल, शिक्षित एवं प्रशिक्षित श्रमशक्ति पर निर्भर करता हैं। आर्थिक विकास की दृष्टि से भौतिक संसाधन की अपेक्षा मानवीय पूँजी को अधिक महत्वपूर्ण समझा जाता है क्योंकि मानवीय साधनों की कुशलता एवं दक्षता पर ही आर्थिक विकास का ढाँचा खड़ा किया जा सकता है। यदि किसी देश के पास पर्याप्त एवं श्रेष्ठतम मानव पूँजी उपलब्ध है तो उस देश की भौतिक संसाधन और भी उत्पादक बन जाती है प्रसिद्ध अर्थशास्त्री शुल्ज का कहना है कि “हमारी आर्थिक प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण मानवीय पूँजी का विकास है। इसे किए बिना हमें व्यापक दरिद्रता एवं कठोर शारीरिक श्रम से मुक्ति नहीं मिल सकती है।” मानवीय पूँजी के विकास के लिए शिक्षा प्रशिक्षण स्वस्थ्य जीवन स्तर में वृद्धि करना जरूरी है। ऐसा कोई भी विनियोग जो जनशक्ति की शिक्षा, स्वास्थ्य प्रशिक्षण, कार्य कुशलता तथा जीवन स्तर में वृद्धि करता है।
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