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 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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निराला की काव्य-कला में शक्ति-चिंतन

    1 Author(s):  AMIT KUMAR SHARMA

Vol -  6, Issue- 6 ,         Page(s) : 64 - 70  (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

या प्रीतिरविवेकानां विषयेष्वनपायिनी। त्वामनुस्मरत: सा मे हृदयान्मापसर्पतु॥१विष्णु पुराण अर्थातहेप्रभो,जोतीव्रआसक्तिअज्ञानियोंकोऐहिकपदार्थोंकेप्रतिहोतीहै,वहीमेरेहृदयमें आपका स्मरण करते समय आपके प्रति निरंतर बनी हो।यहाँ भक्त प्रहलाद आसक्ति-निरपेक्ष और ज्ञान-सापेक्ष होकर प्रभु-चिंतन में लीन होने का आशीर्वाद प्रभु से माँग रहें हैं।साधक को अपने साध्य का चिंतन-मनन ही अभीष्ट होता है।अपने साध्य के चिंतन-मनन में ही साधक को अनंत प्रतीति होती है।इसी निमित्त भक्त प्रहलाद ने अपनी प्रार्थना की है।वास्तव में व्यक्ति का चिंतन-मनन उसके वैयक्तिक और सामाजिक सरोकारों का परिचय देता है,जिनसे समाज में सुखद व्यवस्था स्थापित करने का मार्ग खुल जाता है।निराला की काव्य-कला में शक्ति संबंधी कविताएँ मिलती हैं ।इन कविताओं में विचार-तत्त्व का बोध हम प्रस्तुत आलेख में प्राप्त करेंगे।शक्ति से क्या आशय है?शक्ति संबंधी कविताओं में क्या कवि ने वैयक्तिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सामाजिक दृष्टिकोण भी स्पष्ट किया है?इन्हीं विचारों को हम इस आलेख में पढ़ेगें।

  1. उद्धृतएस्वामी विवेकानंदएमहापुरुषों की जीवनगाथाएँएरामकृष्ण मठएनागपुरए२००९एपृ०.५७
  2. श्रीदुर्गासप्तशतीएपञ्चम्‌ अध्यायएगीताप्रेस गोरखपुरए २०१०एपृ०११२
  3. उद्धृतएश्रीराम परिहारएसाहित्य अमृत मासिकएअक्तूबर २०११एपृ०१७
  4. उद्धृतएरोमां रोलांएविवेकानंदएलोकभारती प्रकाशनण्इलाहाबाद विवेकानंदएपृ०९३
  5.  वहीएपृ०७३
  6. उद्धृतएश्रीपथिकजी महाराजएशक्ति और मानवकर्त्तव्य;आलेखद्धएकल्याणएवर्ष संख्या.४एअप्रैल २०१२एगीताप्रैस गोरखपुरएपृ०६३७
  7. उद्धृतएस्वामी निखिलात्मानंदएशक्ति के संदेशवाहक स्वामी विवेकानंदएसाहित्य अमृत मासिकएअगस्त २०१३एनई दिल्लीएपृ०.४२
  8. आचार्य रामचंद्र शुक्लएप्रवाल भाग २एसं०अनिलविद्यालंकारएराष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्‌एनई
  9. दिल्लीए१९९७एपृ० ३
  10. स्वामी ब्रहमेशानंदएसाहित्य अमृतए मासिकएनई दिल्लीएअगस्त २०१३एपृ० २७ 

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