गठबंधन के काल में केन्द्र-राज्य सम्बन्धों की समीक्षा तनाव के कारणों की पड़ताल एवं निराकरण
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Author(s):
MEENU RANI
Vol - 6, Issue- 1 ,
Page(s) : 292 - 297
(2015 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
चैथे आम चुनाव के पूर्व केन्द्र और राज्य सरकारों के सम्बन्ध सामान्य और सन्तोषजतक थे क्योंकि लगभग सभी राज्यों में एक दल अर्थात् कांग्रेस का एकाधिकार था। पं0 नेहरू का महान् व्यक्तित्व लम्बे अर्से तक देश के नेतृत्व पर छाया रहा था और केन्द्र एवं राज्यों का सम्बन्ध एक दल के अन्दर केन्द्रीय और स्थानीय नेताओं के सम्बन्ध की भी बात थी। यदि केन्द्र और राज्यों मंे मतभेद या मनमुटाव होते थे तो उन्हें दलीय आधार पर दूर कर लिया जाता था। एक दलीय प्रभुत्व वाली राजनीतिक व्यवस्था के कारण ही ऐसा हुआ है। 1989-2004 के निर्वाचनों से यह इंगित होता है कि भारत मंे संघ व्यवस्था का ‘सौदेबाजी वाला प्रतिमान’ ही कार्यरत हैं विश्वनाथ प्रतापसिंह ;1989द्ध, चन्द्रशेखर ;1990द्ध, पी0वी0 नरसिंह राव ;1991द्ध, श्री एच0डी0 देवगोड़ा ;1996द्ध, श्री इन्द्र कुमार गुजराल ;1997द्ध, अटल बिहारी वाजपेयी ;1998 एवं 1999द्ध तथा डाॅ0 मनमोहन सिंह ;2004द्ध के नेतृत्व में बनने वाली सभी केन्द्रीय सरकारें अल्पमतीय सरकारें थी जिन्हें सत्ता में बने रहने के लिए उन दलों का सहारा लेना पड़ा जो राज्यों मंे शक्ति के पुंज थे।
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