संस्कृत साहित्य के प्रारम्भ में कुबेर
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Author(s):
ANSHU YADAV
Vol - 6, Issue- 6 ,
Page(s) : 167 - 177
(2015 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
संस्कृत साहित्य में कुबेर को एक अर्ध-देव के रूप में जाना जाता है । यक्षों के अधिराज कुबेर का सबसे पहले वेद, पुराण और महाकाव्यों में वर्णन पाया जाता है । जिस प्रकार मूल इन्द्र ने देव जनजाति को अपनी सहचर असुर जनजाति के पंजे से छुड़ाकर उसे संस्कृति की पहली सीढ़ी पर पहँुचाया था, उसी प्रकार कुबेर ने यक्ष जनजाति को व्यापार बढ़ाकर, स्वर्ण की खोज कर, सभ्यता और समृद्धि की चोटी पर पहँुचाया । वह उत्तरदिशा का रक्ष् रक्षक है । संस्कृत साहित्य के प्रारम्भ में कुबेर को केवल नम्रता से युक्त दर्शाया गया है किन्तु बाद के साहित्य में उसमें ईश्वरत्व का प्रतिपादन कर दिया गया ।
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